बुधवार, 17 जून 2015

मानवता पर 'ललित' निबंध

मानवता बड़ी चीज होती है। मानवता मनुष्य का एक स्वभाव है। जिस हर कोई अपने स्तर से प्रकट करता है। मानवता कौन दिखा रहा है। किसके ऊपर दिखा रहा है। यह काफी महत्वपूर्ण होता है। जाहिर है मानवता दिखाने को लेकर भी प्रतिस्पर्धा है।

मानवता का समाजशास्त्र

मानवता के लिए हैसियत बहुत मायने रखता है। बड़े लोग, बड़े लोगों को मानवता दिखाते हैं। छोटे लोग, छोटे लोगों को मानवता दिखा पाते हैं। गरीबों की मानवता की चर्चा कहीं होती ही नहीं। बड़े लोगों की मानवता की चर्चा देश-विदेशों तक होती है। टीवी चैनलों पर बताया जाता है। अखबारों में विश्लेषण किया जाता है। बड़े लोगों की मानवता अमर हो जाती है। 15-20 बरस बाद भी उसे उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है। 

मानवता का अर्थशास्त्र

मानवता का अंकगणितीय महत्व भी काफी होता है। मानवता दिखाते वक्त विशेष ख्याल रखा जाता है कि सामने वाले भी उसी महत्व की मानवता दिखाएं। तरीका अलग हो सकता है। जैसे ट्रेवल वीजा के बदले कॉलेज में दाखिला। या गैरेंटर बनने पर कंपनी में हिस्सेदारी। या फिर देश छोड़कर जाने की इजाजत देने पर स्विस बैंक अकाउंट में कैश डिपोजिट या विदेशी कंपनी में शेयर।

मानवता का राजनीतिशास्त्र

इस तरह की मानवता में चुनाव के वक्त मदद ली जाती है। जिसके बदले नेता, मंत्री सरकार बनने के बाद मानवता दिखाते हैं। जैसे खनन माफिया पर मानवता दिखाकर उसे मनमानी करने से रोकते नहीं है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रीय दलों के मुखिया केंद्र सरकार को समर्थन देकर मानवता दिखाते हैं बदले में सरकार उन्हें बड़े घोटालों में सीबीआई जांच से बचाकर मानवता दिखाती है।

मानवता का निष्कर्ष

मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मानवता दिखाते हैं। उन्हें स्थानीय स्तर की मानवता में खास दिलचस्पी नहीं होती है। अगर होती भी है तो उन्हें ही मानवता दिखाते हैं जो बडे-बड़े उद्योगपति टाइप के होते हैं। जो अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने की माद्दा रखते हैं। बड़े नेता लोग दरअसल मानवता को ग्लोबलाइज्ड करने में भरोसा करते हैं। ताकि हिंदुस्तानी मानवता को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिले। फिर मानवता दिवस मनाएं। योग की तरह।

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