बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

दाल के बारे में सोचने का नहीं!


मैं दाल के बारे में कभी नहीं सोचता। बढ़ गई कीमतें तो बढ़ गई। नहीं खाऊंगा। लेकिन इसके बारे में सोचूंगा नहीं। बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि अगर सोचा तो चिंता जाग जाएगी। और चिंता में फंसा तो चतुराई चली जाएगी। चतुराई गई तो दुख होगा। और दुख हुआ तो शरीर घटेगा। और शरीर अगर घटते-घटते माइनस में चला गया तो सबकुछ खत्म। जब खुद नहीं बचूंगा तो सस्ती दाल मिलकर भी क्या होगा। सो, मैं दाल की बढ़ती किमतों के बारे में नहीं सोचता।

जिनको दाल के बारे में ज्यादा सोचना है वो सोचते नहीं। वो सोचते तो दाल भी मुद्दा होता। लेकिन नहीं है। उनके लिए दाल से ज्यादा जरूरी बीफ है। गाय है। जाति है। धर्म है। आरक्षण है। वोट है। चुनाव है। चुनाव तो लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है। पर्व है तो खुशी है। खुशी के वक्त में ग़म की बातें नहीं की जाती। इसलिए शायद वो भी चुनाव में बढ़ती दाल की बातें नहीं कर रहे हैं।

जब उनको दाल की चिंता नहीं है तो लोग क्यों करें। जब दाल के नाम पर वोट नहीं मांगे जा रहे हैं तो लोग भी दाल के नाम पर वोट क्यों दे। जिस पर नेता बोलें वही मुद्दा है। उसी मुद्दे पर मीडिया में चर्चा होती है। जिसकी चर्चा मीडिया में होती है वही लोग समझते हैं। उसी पर लोग मंथन करते हैं। उसी पर वोट देते हैं।

हां, दाल को लेकर वे लोग जरूर थोड़ी-बहुत चिंतित हैं, जिनके पास काम नहीं है। जो कुर्सी से दूर हैं। जिन्हें सत्ता चाहिए। जो बड़ा नेता बनना चाहते हैं। जो अब तक ये सोच रहे हैं कि जैसे दिल्ली में कभी शीला दीक्षित को आलू-प्याज के नाम पर कुर्सी मिल गई थी। वैसे ही शायद किस्मत चमक जाए। यही सोच-सोचकर मेहनत करते हैं। 10-20 को जमाकर प्रदर्शन करते हैं। कैमरा का फ्लैश चमका। फिर गायब हो जाते हैं। यानी सिरियसली वो भी नहीं लेते हैं।

कुल मिलाकर देश में दाल कोई मुद्दा नहीं है। किसी के लिए नहीं। कोई इसके बारे में सोचता नहीं है। आप भी मत सोचिए। विकल्प में जो मिलता है वो खाइए। आजकल कहीं न कहीं पार्टियां होती रहती है। कहीं बीफ पार्टी। कहीं दूध पार्टी। कहीं पॉर्क पार्टी। आप भी उसमें सरीक होइए। मुफ्त में खाइए। खुश रहिए। लेकिन सोचिएगा मत।


4 टिप्‍पणियां:

  1. आज के हालात का बहुत ही सही वर्णन किया है आपने अंकुर जी...।

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  2. आज के हालात का बहुत ही सही वर्णन किया है आपने अंकुर जी...।

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - आजाद हिन्द फौज का 72वां स्थापना दिवस में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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