सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

मोदी जी क्यों मौन हैं?

रोहित वेमुला ने खुदकुशी कर ली। एक नौजवान मर गया। जिम्मेदार कौन है। पता नहीं। साथी कह रहे हैं कि हत्या हुई है। जिम्मेदारी तय करो। लेकिन सरकार के मंत्री उसकी जाति तय करने में अपनी पूरी एनर्जी खर्च कर रहे हैं। मोदी जी मौन हैं।

रोहित के साथी हैदराबाद यूनिवर्सिटी में अनशन पर बैठे हैं। उन्हें इंसाफ चाहिए। जिद पर अड़े रोहित के दोस्तों की हालात खराब होती जा रही है। लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें कोई पूछनेवाला नहीं है। मोदी जी मौन हैं।

दिल्ली में कुछ लडके-लड़कियों को बेरहमी से पीटा गया। पुलिस वाले वहशी बन गए। कुछ ख्याल नहीं रहा। लड़कों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। लड़कियों पर टूट पड़े। जैसे वे कॉलेज के बच्चे नहीं, आतंकी हों। पुलिस रक्षक नहीं, मवाली हो। देश की राजधानी में, प्रधानमंत्री के ऑफिस से कुछ किलोमीटर की दूरी पर, आरएसएस दफ्तर के बाहर नौजवानों को बेहिसाब मारा गया, लेकिन मोदी जी मौन हैं।

इसी दिल्ली में एक बड़े प्राइवेट स्कूल में एक मासूम मर गया। एक परिवार अपने बेटे की मौत का हिसाब मांग रहा है और लापरवाह स्कूल की प्रिंसिपल कह रही है कि बच्चा मेंटली डिस्टर्ब था। गज़ब की बेशर्मी है। हाहाकार मच जाना चाहिए था। धरती फट जानी चाहिए थी। लेकिन बीच बाज़ार में खड़े स्कूल की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। नई पौध पर आफत है और मोदी जी मौन हैं।

लखनऊ में मेडिकल की पढ़ाई कर रही एक बेटी ने खुदकुशी कर ली। क्योंकि एक लड़का उसे छेड़ता था। सारिका ने हर किसी से मदद की गुहार लगाई थी। लेकिन न तो सरकार ने सुनी और न ही पुलिस अफसरों ने। सारिका ने खुदकुशी कर ली। न बेटी पढ़ पाई, न बेटी बच पाई। लेकिन मोदी जी मौन हैं।

ये तो उन कुछ लोगों की कहानी है, जिनकी चर्चा टीवी चैनलो पर हो रही है। जिनके किस्से अख़बारों में छप रहे हैं। लेकिन पिछले एक महीने के दौरान नौजवानों, बच्चों की हत्या की ये कोई दो-चार घटनाएं नहीं हुई है। यूपी के गांवों में हर रोज हैवानियत का शिकार होनेवाली बेटियां तो ख़बर भी नहीं बन पाती है। सरकार की नज़र कहां तक जाएगी उन पर।

हमारे एनर्जेटिक प्रधानमंत्री को नौजवानों में देश का भविष्य दिखता है। वो नौजवानों को देश की पूंजी बताते हैं। देश की शक्ति कहते हैं। तो फिर देश की ताकत को कौन खत्म कर रहा है। बच्चों, नौजवानों को कौन मार रहा है। देश का भविष्य बर्बाद करनेवाला कौन है ? मोदी जी क्यों मौन हैं ?

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