रविवार, 9 अक्तूबर 2016

'दलाली' के बाद ममा-बाबा की बात

बाबा के एक बयान के बाद टीवी पर गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। ब्रेकिंग न्यूज़ चलने लगी थी। एंकर सब गला फाड़कर चिल्लाने लगा था। तभी मैडम के फोन की घंटी बजी। पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता ने फोन किया था। 
मैडम, बाबा ने क्या कहा दिया है सुना आपने?  
हां, सुना है।
मैडम, वो मीडिया वाले मेरे घर के बाहर खड़े हैं। रिएक्शन मांग रहे हैं।
छोड़ो अभी। कोई रिएक्शन मत दो। फोन कर रहा है तो कह दो कि मुझे इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
जी मैडम। 
फोन रखते ही। दूसरे नेता का फोन। मैडम ने उसे भी यही बातें कही। फिर तीसरा। फिर चौथा। फिर पांचवा। फिर एक-एक कर न जाने पार्टी के कितने पदाधिकारियों के फोन आ गए। सिर्फ यही पूछने के लिए मैडम, बाबा के बयान पर क्या रिएक्शन दूं।
अंत में मैडम झल्ला गईं। दो-चार नेताओं को झाड़ लगाई। मोबाइल को साइलेंट मोड में रख दिया। फोन से रिसिवर हटा दिया। बेटी को भी अपने घर बुला लिया। सलाहकार मियां को भी बुला लिया था। बिन बुलाए आफत के बारे में दोनों मां-बेटी सोच ही रही थी कि सभा खत्म करने के बाद बाबा घर आए। अपने घर जाने की बजाय सीधे ममा से मिलने पहुंचे।
मैडम ने पूछा- आ गए। हां ममा, जवाब मिला।
पता है तुझे, आज फिर तुमने बोलते-बोलते क्या बोल दिया।
येस ममा। लेकिन ममा, मैं तो कड़े शब्दों में फेकू पर अटैक रहा था। मीडिया अटेंशन के लिए। 
लेकिन दलाली शब्द बोलने की क्या जरूरत थी?
मैंने तो ऐसे ही बोल दिया था ममा।
क्या ऐसे ही बोल दिया। 12 साल में तुमने कुछ नहीं सीखा। सही में तुम पप्पू हो। लोग कुछ गलत नहीं कहते।  
ममा के मुंह से पप्पू सुनते ही बाबा गुस्सा गए। तुनकते हुए कहा- आपने भी तो एक बार उसे मौत का सौदागर कहा था। मैंने तो सिर्फ दलाल ही कहा है। इतना ही नहीं। आपने तो ये भी एक बार कहा था कि फेकू जहर की खेती करता है।
ये क्या फेकू-फेकू  बोल रहे हो। 'डिग्गी' ने एक बार सिखा दिया। वही रट्टा मार लिया। अपने मन से भी कुछ बोलो। और हां, वो जब मैंने मौत का सौदागर बोला था, तब क्या हुआ था, तुम्हें याद है। गुजरात में कितनी कम सीटें मिली थी कांग्रेस को। उससे भी कुछ नहीं सीख पाए पप्पू। सच तो ये है कि तुम्हें कुछ याद ही नहीं रहता। नशे से बाहर निकलो तब तो।
ऐसे मत बोलिए। रट्टा मार के न बोलूं तो क्या बोलूं। पूरे यूपी में घूम-घूमकर वही बोला जो रट्टा मारा था। एक बार अपने मन से बोल दिया तो आप लोग कह रहे हैं कि गोबर कर दिया। 
ममा निराश होकर बोली। जा पप्पू। तेरा कुछ नहीं होगा। कब तू बड़ा होगा पता नहीं। इसीलिए तुम्हारी शादी भी हम नहीं करवा रहे हैं।
जो होगा। सो होगा। लेकिन आप मुझे पप्पू मत कहा कहिए हां।
रूठ कर बाबा मां के कमरे से बाहर निकले। अपने घर पर पहुंचे। उस कमरे में खुद को बंद कर लिया, जहां गांजा, अफीम जैसे कुछ चीजें रखी हुई थी। उधर दूसरी तरफ मैडम अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई।  

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