शनिवार, 22 जुलाई 2017

सियाचिन के वीरों को मोदी का तोहफा

एक विशाल हिमपर्वत...ज़मीन ऐसी बंजर और दर्रे इतने ऊंचे कि जहां तक, पक्के दोस्त या फिर कट्टर दुश्मन ही पहुंच सकते हैं...चारों तरफ सफेद बर्फ की मोटी चादर...हाड़ गला देने वाली ठंड...जहां 15 सेकेंड में ही शरीर कोई खाली हिस्सा सुन्न पड़ सकता है...कहीं हज़ारों फ़ुट ऊंचे पहाड़ तो कहीं हजारों फूट गहरी खाइयां... न पेड़-पौधे, न जानवर, न पक्षी....उस जगह का नाम है सियाचिन...जो दुनिया का सबसे ऊंचा बॉर्डर है... जहां तैनात रहती है हिमयोद्धाओं की टोली सरहद की सुरक्षा के लिए। 

सियाचिन में सैनिकों के लिए दुश्मनों की गोली से ज्यादा खतरनाक बर्फ के टुकड़े होते हैं...पिछले 30 सालों में तकरीबन 900 जवान मौसम की वजह से शहीद हो गए...यहां ठंड के मौसम में माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पुहंच जाता है...इतने बर्फ रहते हैं कि अगर सूरज की रोशनी बर्फ से पड़ने के बाद किसी का आंख में चली जाए तो वो शख्स अंधा हो सकता है...इस जगह पर साल में 365 दिन हाथ में बंदूक थामे खड़े रहते हैं सेना के जवान।

सियाचिन में करीब 10 हजार सैनिक तैनात हैं। सैनिक कपड़ों की कई तह पहनते हैं और सबसे ऊपर जो कोट पहनते हैं उसे स्नो कोट कहते हैं..सैनिक लकड़ी की चौकियों पर स्लिपिंग बैग में सोते हैं। कभी-कभी ऑक्सिजन की कमी से सोते-सोते ही सैनिक की मौत हो जाती है.,,,सैनिक न नहाते हैं और न ही दाढ़ी बनाते हैं।

एक पर्वतारोही की तरह काम करने वाले ये सैनिक पाकिस्तान और चीन पर हर पल निगाहें जमाए रहते हैं...हर वक्त मुश्किलों से लड़ने वाले सैनिकों का दर्द मोदी भी समझते हैं...यही वजह है कि मोदी जब देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे तो अपनी पहली दिवाली 12 हजार फीट ऊंचे बर्फ के टीले पर सैनिकों के साथ मनाया...सियाचिन में सैनिकों के साथ खड़े होने वाले पहले प्रधानमंत्री थे मोदी। 

सियाचिन में सैनिकों पर हर दिन 5 करोड़ से ज्यादा का खर्च आता है...लेकिन ज़िंदगी को दांव पर लगाकर सरहद की सुरक्षा में लगे इन हिमयोद्धाओं को महज 14 हजार रूपये अलाउंस मिलता था। लेकिन  अब मोदी सरकार ने जवानों का भत्ता 14 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रूपये कर दिया है। जबकि अफसरों का भत्ता 21 हजार से बढ़ाकर 42 हजार 500 रूपये कर दिया है। सैनिकों को ये फायदा 1 जुलाई से मिलना शुरू हो चुका है। सियाचीन में तैनात जवानों और अफसरों को ये भत्ता मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के एवज में दिया जाता है। रक्षा विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं...कह रहे हैं कि जिस हालात में जिंदगी को दांव पर  लगाकर सेना सियाचिन में सीमा की सुरक्षा में लगती रहती है, उनके लिए तो ये जरूरी ही है। 

सियाचिन की चोटी पर तैनात जवानों को ठीक से खाना भी नसीब नहीं होता है...विपरित परस्थितियों में दुश्मनों से टकराने के लिए तैयार रहने वाले भारत के बहादुर सपूतों के लिए मोदी सरकार ने तोहफा दिया है। 

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